लेखनी प्रतियोगिता -27-Aug-2022
मन में आशा का दिया जलता रहे।
सिलसिला ये अनवरत चलता रहे।
जन्म अपने तन से जिसने है दिया
और जिसने स्नेह से पालन किया
माँ पिता के साथ जो बेटा खड़ा है
कौन इस दुनिया में फिर उससे बड़ा है
वो प्रकट भगवान हैं
उनका प्रथम सम्मान है
हाथ ये उनके चरण मलता रहे
सिलसिला ये अनवरत चलता रहे।
छोड़ अपना घर जो सीमा पर खड़े हैं
दुश्मनों के दिल में कांटे से गड़े हैं
उनकी हिम्मत का सबल आधार बनकर
हम रहें उनके सदा परिवार बनकर
वक़्त हो जब शाम का
घर में उनके नाम का
देहरी पर दीप एक जलता रहे
सिलसिला ये अनवरत चलता रहे।
हम रहें या ना रहें दुनिया रहेगी
किंतु आने वाली पीढ़ी हमको क्या कहेगी
इसलिए दुनिया को हम सुंदर बनाएं
घर में एक छोटा सही मंदिर बनाएं
बच्चों को अपने प्यार भी दें
साथ में संस्कार भी दें
धर्म जितना हो सके फलता रहे
सिलसिला ये अनवरत चलता रहे।
प्रतियोगिता हेतु
अंशुमान द्विवेदी मौलिक रचना
shweta soni
31-Aug-2022 11:55 AM
Behtarin rachana
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Abhinav ji
28-Aug-2022 10:49 PM
Very nice👏
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Ajay Tiwari
28-Aug-2022 05:11 PM
Very nice
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